आपदा प्रबंधन पर चार दिवसीय विश्व सम्मेलन आज देहरादून में शुरू हुआ।

The four-day World Conference on Disaster Management began in Dehradun today.

देहरादून (पोस्ट उत्तराखंड) आपदा प्रबंधन पर सबसे बड़े वैश्विक सम्मेलनों में से एक, आपदा प्रबंधन पर छठा वैश्विक सम्मेलन आज ग्राफिक एरा (डीम्ड यूनिवर्सिटी), देहरादून में शुरू हुआ। चार दिवसीय सम्मेलन का शुभारम्भ उत्तराखंड के माननीय मंत्री श्री पुष्कर सिंह दहमी द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधान मंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी ने ‘आपदा प्रबंधन पर विश्व सम्मेलन’ में उपस्थित सभी अतिथियों, शोधकर्ताओं, चिकित्सकों और वैज्ञानिकों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि 50 से अधिक देशों के मेहमानों का उत्तराखंड में स्वागत है। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में आपदा प्रबंधन पर विस्तृत मंथन होगा और साथ ही देहरादून घोषणापत्र भी जारी किया जाएगा, जिससे आपदा प्रबंधन पर बहुत सी बातें सीखने को मिलने की उम्मीद है और हम भविष्य में भी उन पर अमल करते रहेंगे और यह मामला भी एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़. इच्छा।

माननीय मुख्यमंत्री ने लोगों को उत्तरकाशी सुरंगों में फंसे लोगों को बचाने के प्रयासों के बारे में भी जानकारी दी और कहा कि राज्य और केंद्र सरकार के सहयोग से लोगों को बचाने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं। जितना जल्दी हो सके। सुरंगों में फंसे लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए ऑक्सीजन, दवा, भोजन और अन्य आवश्यक आपूर्ति हमेशा प्रदान की जाती है।

इस बैठक में इस देश के प्रधान मंत्री, पुष्कर सिंह देहमीजी ने कहा: “मनुष्य और प्रकृति के बीच हमेशा एक रिश्ता रहा है, और यह द्वैतवाद इस बात का सबूत है कि हम पहाड़ी क्षेत्रों में एक भयानक आपदा का सामना कर रहे हैं।” इस पृष्ठभूमि में, इस सम्मेलन के आयोजन के लिए उत्तराखंड एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। कभी-कभी यहां भूस्खलन, भारी बारिश और भारी बर्फबारी जैसी आपदाएं आती रहती हैं। हमने सक्रिय दृष्टिकोण के साथ आपदाओं की पहचान करके उनके प्रभाव को कम करने में कामयाबी हासिल की है और मोदी जी के मार्गदर्शन में हमने पहाड़ पर आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए काम किया है। हमने शौचालय, हेलीकाप्टर सेवाएं और बहुत कुछ बनाया। आवश्यक सुविधाएं. उन्होंने कहा, आपदाओं को रोका नहीं जा सकता, लेकिन प्रौद्योगिकी और प्रणालियों के माध्यम से शीघ्र पता लगाने से निश्चित रूप से उनके प्रभाव को कम किया जा सकता है। माननीय मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड के पाठ्यक्रम में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने को शामिल करने का प्रयास किया ताकि उत्तराखंड के छात्र आपदाओं के प्रति अधिक जागरूक हो सकें और भविष्य के बारे में अधिक सतर्क होकर विचार कर सकें।

जी20 सम्मेलन के बारे में बोलते हुए माननीय प्रधान मंत्री ने कहा कि उत्तराखंड को तीन जी20 सम्मेलन आयोजित करने का अवसर मिला और इसके माध्यम से हमने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अतिथियों के सामने उत्तराखंड को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाई है। उन्होंने 8-9 दिसंबर, 2023 को देहरादून में होने वाले ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के बारे में भी बात की और कहा कि हमने सम्मेलन से पहले ही 2 मिलियन रुपये के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं और इस सम्मेलन के अंत की दिशा में आगे कदम उठाएंगे। . तैयार रहो।

इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जी के द्वारा,  माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के अनुभवों पर आधारित पुस्तक “रेजिलिएंट इंडियाः कैसे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत का आपदा प्रबंधन मॉडल बदला“ का विमोचन भी किया गया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रंजीत कुमार सिन्हा, सेक्रेट्री, उत्तराखंड डिजास्टर मैनेजमेंट ने आए हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया, उन्होंने कहा कि पृथ्वी को बचाने के लिए हम सबको एक साथ मिलकर आगे आना होगा। उन्होंने कहा हमारे युवा मुख्यमंत्री माननीय पुष्कर सिंह धामी जी के नेतृत्व में हम आज आपदा प्रबंधन पर चिंतन मंथन कर रहे हैं जिसका निष्कर्ष हमें बहुत ही अच्छा मिलने वाला है।

आनंद बाबू , प्रेसिडेंट  DMICS  ने अपने संबोधन में कहा की इस वर्ल्ड इवेंट में अभी तक अनेकों साइंटिस्टों ने प्रतिभाग किया है एवं अपने विचार रखे हैं परंतु इस बार इस आयोजन को उत्तराखंड के देहरादून में क्यों किया जा रहा है? के सवाल पर उन्होंने कहा कि हम हिमालय के बेहद करीब है और हमने आपदाओं को बहुत ही करीब से देखा है जिससे हमारे यहां पर साइंटिस्ट और रिसर्च स्कॉलर्स को काम करना आसान है इसलिए यह आयोजन हमारे उत्तराखंड के देहरादून में हो रहा है।

प्रो. दुर्गेश पंत,  डीजी यू कास्ट ने अपने संबोधन में कहा कि इस आयोजन में 51 देशों का प्रतिनिधित्व शामिल है एवं इससे आपदा प्रबंधन के गंभीरता को समझा जा सकता है, उन्होंने कहा कि हम जी-20 का सफलतापूर्वक आयोजन कर चुके हैं और इसमें  विश्व स्तर पर हमारे भारत के  योगदान को समझा जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारे मुख्यमंत्री डिजास्टर मैनेजमेंट को लेकर बहुत गंभीर हैं और चिंतन मंथन करते हैं और समय अनुसार एक्शन भी लेते रहते हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री जी के कार्य शैलियों की सराहना करते हुए कहा कि उत्तरकाशी के टनल में फंसे हुए लोगों को मुख्यमंत्री जी प्राथमिकता से ले रहे हैं एवं उसका समय-समय पर निरीक्षण करते रहते हैं।

उन्होंने कहा कि “अर्थ इज माय मदर एंड आई एम हर चाइल्ड“ के कांसेप्ट को हमें समझना होगा और उस पर अमल करना होगा। उन्होंने अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री से मिले हुए पत्र, (जो  WCDM  को अप्रिशिएसन लेटर के रूप में मिला है) को लोगों को दिखाया एवं उन्होंने विजुअल  के माध्यम से सदी के महानायक  अमिताभ बच्चन जी द्वारा ६ वें विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन के अवसर पर इस सम्मेलन की सफलता के लिए माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उत्तराखंड राज्य को बधाई और शुभकामनाएं भी लोगों को दिखाई।

पर्यावरणविद् पद्म भूषण अनिल प्रकाश जोशी,  ने अपने संबोधन में कहा कि यह एक महत्वपूर्ण कांग्रेस है जो यहां आयोजित किया जा रहा है, हम सिटी को और स्मार्ट से स्मार्ट बनने जा रहे हैं परंतु हमारा देश डिजास्टर के मामले में भी आगे बढ़ते जा रहा है, हम चाहते हैं कि डिजास्टर फ्री डेवलपमेंट की बात की जाए जहां पर डेवलपमेंट तो हो परंतु डिजास्टर के जो संभावना है वह बिल्कुल न्यूनतम हो।  उन्होंने उत्तरकाशी टनल हादसे की बात करते हुए कहा कि आज के इस दौड़ में हमारे पास इतनी सारी टेक्नोलॉजी और सिस्टम उपस्थित है परंतु हम बिल्कुल हेल्पलेस महसूस कर रहे हैं।  हमारे साइंटिस्ट और सिस्टम को रिव्यू करने की जरूरत है कि इस तरह के हादसे को कैसे कम किया जा सके!

डॉक्टर डी महंतेश, फाउंडर समर्थनम इंटरनेशनल बेंगलुरु, ने अपने संबोधन में कहा कि आपदा सबसे अधिक लोगों में डिसेबिलिटी लाती है और इसका प्रभाव ज्यादातर महिलाओं एवं बच्चों के ऊपर पड़ता है। उन्होंने कहा डिसएबल लोगों के लिए हमारी संस्था समर्थन इंटरनेशनल काम करती है, हमने उत्तराखंड में भी कोरोना महामारी के दौरान काम किया है और आपदाओं के समय पर हम उत्तराखंड के लोगों के लिए हमेशा साथ खड़े रहते हैं।

राजेंद्र रतनू ,  IAS एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ डिजास्टर मैनेजमेंट, ने अपने संबोधन में कहा कि जलवायु परिवर्तन एक गंभीर मुद्दा है और यह पूरी दुनिया के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है। उन्होंने कहा हमें डिजास्टर रिस्क रिडक्शन पर काम करना चाहिए।

राधा रतूड़ी, एडिशनल चीफ सेक्रेट्री उत्तराखंड सरकार, ने अपने संबोधन में कहा कि आपदा के समय सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले महिलाएं एवं बच्चे होते हैं। हमें उम्मीद है कि हम इस सम्मेलन के माध्यम से इस पर विचार विमर्श करेंगे एवं इसके लिए ठोस निष्कर्ष निकलेंगे।

एस एस संधू,  चीफ सेक्रेटरी, उत्तराखंड सरकार,  ने अपने संबोधन के माध्यम से विभिन्न देशों से आए हुए लोगों का स्वागत किया।  उन्होंने कहा कि हर वक्त डेवलपमेंट प्रोजेक्ट डिजास्टर नहीं लाता है परंतु हमें कुछ ऐसे ट्रीटमेंट की व्यवस्था करनी चाहिए जो की डिजास्टर को नियंत्रित कर सके। उन्होंने कहा हमें डेवलपमेंट को नेचुरल बैलेंस के साथ सम्मिलित कर आगे बढ़ना चाहिए।

शोम्बी शार्प,  यू एन, रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर,  ने अपने संबोधन में कहा कि उत्तराखंड सरकार के तरफ से डिजास्टर मैनेजमेंट को लेकर बहुत ही गंभीर कदम उठाए जा रहे हैं! आपदा “मैन मेड और नेचुरल” दोनों तरह से होती है जैसे  प्राकृतिक आपदा बाढ़, भूकंप, लैंडस्लाइड, सुनामी के रूप में आती है वही मैन मेड  दो देशों के बीच में हुए युद्ध के रूप में आती है। उन्होंने कहा यूनाइटेड नेशन आर्गेनाईजेशन भारत को हर संभव मदद करने के लिए तत्पर रहता है। उन्होंने कहा कि आपदा से लोगों के साथ-साथ कृषि भूमि एवं अन्य आवश्यक संसाधनों पर भी असर पड़ता है,  हम देख सकते हैं कि दुनिया भर के 125 देश के पास डिजास्टर पॉलिसी सिस्टम है परंतु यह पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा भारत अर्ली वार्निंग सिस्टम में काफी कुछ कर चुका है और अब भारत में कोई भी डिजास्टर आने वाला होता है तो उसे 24 घंटे पहले ही सूचना मिल जाती है जिसे जान माल का नुकसान कम करने और लोगों को संभलने के लिए वक्त मिल जाता है।

एडमिरल डीके जोशी, लेफ्टिनेंट गवर्नर, अंडमान एंड निकोबार आइलैंड,  ने अपने संबोधन में कहा कि उत्तराखंड और अंडमान एंड निकोबार दोनों डिजास्टर के मामले में काफी करीब है, हमारे अंडमान एंड निकोबार में सुनामी और स्टॉर्म आता है तो उत्तराखंड में लैंडस्लाइड, अतिवृष्टि जैसे आपदा आती रहती है। उन्होंने कहा है कि आज के समय में हमारे पास बहुत से ऐसी टेक्नोलॉजी और नए सिस्टम आ चुके हैं जो हमें डिजास्टर से पहले अलर्ट जारी कर देते हैं। हमारे यहां पर एनडीआरएफ और एसडीआरएफ जैसे संस्था बनाई गए हैं जिससे कम्युनिटी को हो रहे नुकसानों को उनकी मदद से कम किया जा सकता है और हर वक्त उनकी तैयारी रहती है जिससे लोगों को मदद मिलती रहती है।  उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी और एप्स के माध्यम से भी हम इवेक्युएशन को जल्दी लागू कर सकते हैं  और जान माल का नुकसान भी कम कर सकते हैं, हमारे पास  GIS  सिस्टम,  सेंसर और ड्रोन जैसे महत्वपूर्ण टेक्नोलॉजी है जिससे हम लोगों को अब मदद कर सकते हैं और डिजास्टर में होने वाले नुकसान की संभावनाओं को भी कम कर सकते हैं।

उद्घाटन समारोह के अंत में ग्राफ़िक एरा विश्वविद्यालय समूह के अध्यक्ष प्रो. डॉक्टर कमल घनशाला जी द्वारा उपस्थित सभी मेहमानों को धन्यवाद ज्ञापन दिया गया उन्होंने कहा कि यह ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय के लिए गर्व की बात है कि आज हम मोदी जी के अनुभव पर आधारित पुस्तक का विमोचन कर रहे हैं। यह चार दिवसीय सम्मेलन हमारे आपदा प्रबंधन सिस्टम को समझने के लिए काफी महत्वपूर्ण है और इसके निष्कर्ष  से हमें काफी कुछ सीखने को मिलेगा।