Six Congress MLAs disqualified in Himachal Pradesh, what will happen now?
स्पीकर का यह फैसला इस हफ्ते मंगलवार को राज्यसभा सीट के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस के इन छह सदस्यों द्वारा बीजेपी उम्मीदवार हर्ष महाजन के लिए वोट करने के बाद आया.
ये छह विधायक हैं सुजानपुर विधायक राजिंदर राणा, धर्मशाला विधायक सुधीर शर्मा, बड़सर विधायक इंद्रदूत लखनपाल, लाहौल और स्पीति विधायक रवि ठाकुर, गगरेट विधायक चैतन्य शर्मा और कुटलेहड़ विधायक दविंदर भुट्टो।
कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि वह आया राम गया राम की राजनीति का प्रचार नहीं करना चाहते.
“आया राम गया राम” कहावत का प्रयोग कम समय में बार-बार पार्टी बदलने के संदर्भ में किया जाता है।
पठानिया ने कहा, “अयोग्यता आदेश न्यायिक जांच के अधीन है और न्यायिक जांच के बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।”
कांग्रेस की मुश्किलें छह विधायकों तक सीमित नहीं (Congress’s troubles are not limited to six MLAs)
ट्रिब्यून इंडिया से सुजानपुर से कांग्रेस के तीन बार से विधायक रहे राजेंद्र राणा ने कहा कि वह स्पीकर के फ़ैसले को कोर्ट में चुनौती देंगे.
राणा और सुधीर शर्मा ने कहा, ”जब हम बुधवार को विधानसभा पहुँचे तो स्पीकर सदन में नहीं थे. हमने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी और हाउस के अंदर कैमरे में हमारी तस्वीरें भी हैं.”
सुधीर शर्मा ने कहा कि सुक्खू सरकार का गिरना प्रदेश के हित में है. ये सभी विधायक चंडीगढ के पास पंचकुला के एक होटल में रह रहे हैं.
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की मुश्किलें छह विधायकों की बग़ावत से आगे की हैं.
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के दिग्गज नेता और मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने भी मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के ख़िलाफ़ अपनी नाराज़गी खुलकर ज़ाहिर की है.
विक्रमादित्य का क्रोध ( Vikramaditya’s anger)
बुधवार को विक्रमादित्य सिंह ने सुख कैबिनेट से अपना इस्तीफा दे दिया. बुधवार देर रात उन्होंने अपना रुख नरम करते हुए कहा कि उनकी इस्तीफा देने की कोई योजना नहीं है. लेकिन गुरुवार को उन्होंने दोहराया कि उन्होंने अपना इस्तीफा वापस नहीं लिया है.
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि वह पार्टी के केंद्रीय नियामक के फैसले का इंतजार कर रहे हैं।
केंद्रीय कांग्रेस नेतृत्व ने हिमाचल संकट के समाधान के लिए हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा और कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को भेजा है। हिमाचल प्रदेश विधानसभा (68 सीटें) में कांग्रेस के 40 और भाजपा के 25 प्रतिनिधि हैं। तीन निर्दलीय विधायक हैं.
राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के छह विधायकों ने भाजपा उम्मीदवार को वोट दिया, जिससे निर्दलीय उम्मीदवारों सहित भाजपा के विधायकों की संख्या बढ़कर 34 हो गई। कांग्रेस के भी 34 विधायक थे.
ऐसे में अगर ये छह विधायक अयोग्य घोषित होते हैं तो बीजेपी के पास सिर्फ 25 विधायकों और तीन निर्दलीय विधायकों का ही समर्थन बचेगा. यह इस तथ्य के बावजूद है कि अयोग्य सांसदों को हटाए जाने के बाद भी संसद में अभी भी 34 सांसद हैं।
हिमाचल प्रदेश की राजनीति में किसका दबदबा ( Who dominates the politics of Himachal Pradesh)
हिमाचल प्रदेश में अब तक कुल सात मुख्यमंत्री हुए, जिनमें से छह राजपूत और एक ब्राह्मण. डॉक्टर यशवंत सिंह परमार 1952 में हिमाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने और लगातार चार कार्यकाल तक सत्ता में रहे.
वीरभद्र सिंह छह बार मुख्यमंत्री बने और 22 सालों तक प्रदेश के मुखिया रहे. डॉ यशवंत सिंह परमार, वीरभद्र सिंह के अलावा ठाकुर रामलाल, प्रेम कुमार धूमल, जयराम ठाकुर और वर्तमान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू भी राजपूत जाति से ही ताल्लुक़ रखते हैं.
बीजेपी ने शांता कुमार को दो बार मुख्यमंत्री बनाया लेकिन वह कभी पाँच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए. शांता कुमार 1977 से 1980 और 1990 से 1992 तक मुख्यमंत्री रहे. शांता कुमार ब्राह्मण जाति से ताल्लुक़ रखते हैं और हिमाचल प्रदेश के पहले ग़ैर-कांग्रेसी, ग़ैर-राजपूत मुख्यमंत्री थे.
उन्हें हिमाचल में राजपूत मुख्यमंत्रियों के बीच अपवाद के तौर पर देखा जाता है. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी हिमाचल प्रदेश के ब्राह्मण नेता हैं. कांग्रेस के आनंद शर्मा भी हिमाचल के ही ब्राह्मण नेता हैं लेकिन वीरभद्र सिंह के रहते वह प्रदेश में हाशिए पर ही रहे.
कौन हैं विक्रमादित्य और प्रतिभा सिंह ( Who are Vikramaditya and Pratibha Singh)
विक्रमादित्य सिंह हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे हैं.
विक्रमादित्य सिंह की माँ प्रतिभा सिंह हिमाचल प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष हैं. कहा जाता है कि प्रतिभा सिंह ख़ुद सीएम बनना चाहती थीं.
लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस आलाकमान ने सुखविंदर सिंह सुक्खू को सीएम बनाया था.
विक्रमादित्य सिंह सुक्खू सरकार में लोक निर्माण और शहरी विकास मंत्री थे. वहीं, उनकी माँ प्रतिभा सिंह हिमाचल प्रदेश के मंडी से लोकसभा सांसद हैं.
हिमाचल के बारे में कुछ और बातें( Some more things about Himachal)
हिमाचल प्रदेश क्षेत्रफल और आबादी दोनों के लिहाज़ से छोटा राज्य है. 2011 की जनगणना के अनुसार, हिमाचल प्रदेश की आबादी 70 लाख से भी कम है. भारत की कुल आबादी में हिमाचल का हिस्सा महज़ 0.57 फ़ीसदी है. यहाँ की साक्षरता दर 80 फ़ीसदी से भी ज़्यादा है.
2011 की जनगणना के अनुसार, हिमाचल प्रदेश की 50.72 प्रतिशत आबादी सवर्णों की है. इनमें से 32.72 फ़ीसदी राजपूत और 18 फ़ीसदी ब्राह्मण हैं. 25.22 फ़ीसदी अनुसूचित जाति, 5.71 फ़ीसदी अनुसूचित जनजाति, 13.52 फ़ीसदी ओबीसी और 4.83 प्रतिशत अन्य समुदाय से हैं. हिमाचल प्रदेश में मुसलमानों की आबादी न के बराबर है, इसलिए यहाँ हिन्दुत्व की राजनीति का ज़ोर नहीं है.
पिछले 45 सालों से हिमाचल प्रदेश की राजनीति कांग्रेस बनाम बीजेपी रही है. नवंबर 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने प्रदेश की कुल 68 विधानसभा सीटों में से 44 सीटों पर जीत दर्ज की थी. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने नए चेहरे जयराम ठाकुर को मुख्यमंत्री बनाया था.
जयराम ठाकुर का मुख्यमंत्री बनना एक अहम घटना थी क्योंकि हिमाचल प्रदेश की राजनीति में पिछले तीन दशकों से वीरभद्र सिंह और प्रेम कुमार धूमल परिवार का दबदबा चला आ रहा था. हालाँकि बीजेपी ने धूमल परिवार के दबदबे को चुनौती दी लेकिन राजपूतों के दबदबे को क़ायम रखा.