So will the ongoing war between Israel and Hamas end now?
सहायता वितरण तब हुआ है जब गाजा पट्टी पर इजरायली हमले जारी हैं। रमज़ान के दौरान अस्थायी युद्धविराम के अधीन, एक समझौता लगभग हो गया था। शनिवार को पेरिस में वार्ता में इस मुद्दे पर चर्चा हुई. इसमें बंधकों की रिहाई के बदले में इजरायली जेलों में बंद फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई भी शामिल है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने रविवार को इजरायली युद्ध मंत्रिमंडल को यह जानकारी दी। हालाँकि, इज़रायल के रक्षा मंत्री ने इस मुद्दे पर असहमति जताते हुए एक बयान जारी किया और कहा कि इस समझौते के बावजूद कोई निलंबन नहीं होगा।
इज़रायली रक्षा मंत्री योव गैलन ने कहा, “अगर कोई सोचता है कि एक बार जब हम बंधकों की रिहाई पर समझौते पर पहुंच जाएंगे, तो उसके बाद सब कुछ आसान हो जाएगा, तो वे गलत हैं।” हम यह लड़ाई जारी रखेंगे. हम यह कार्य तब तक जारी रखेंगे जब तक हम अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच जाते। हमें हमास को पूरी तरह से नष्ट कर देना चाहिए।’ फिर हिज़्बुल्लाह को वहीं वापस रख दो जहाँ वह है। तमाम दबावों के बावजूद इजराइल हमेशा युद्ध जारी रखने की बात करता रहा है.
पेरिस वार्ता के बाद प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक प्रतिनिधिमंडल कतर भेजा। पेरिस के बाद कतर और मिस्र में दो दौर की बातचीत होगी. हमास आंदोलन के प्रतिनिधि और मिस्र, कतर, अमेरिका और इज़राइल के विशेषज्ञ भी भाग लेंगे। दोनों सम्मेलन दोहा, कतर और काहिरा, मिस्र में होंगे। इस साल जनवरी से अब तक युद्धविराम वार्ता के कई दौर हो चुके हैं, जो अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं, लेकिन बंधकों की रिहाई और युद्धविराम को लेकर चर्चा एक बार फिर गर्म है और सकारात्मक उम्मीदें हैं।
जंग के बाद गाजा के प्रशासन की इजरायल ने पेश की योजना ( Israel presented plan for administration of Gaza after the war)
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमास के साथ जारी जंग खत्म होने के बाद गाजा के प्रशासन की योजना पेश की है. इस योजना के मुताबिक इजरायल गाजा पट्टी की सुरक्षा को अनिश्चित काल के लिए अपने हाथ में रखेगा. इसके साथ ही गाजा को पूरी तरह डिमिलटराइज करेगा. मिस्र के साथ लगी सीमा पर भूमिगत तस्करी रोकने के लिए मज़बूत सुरक्षा का भी इंतज़ाम करेगा. इसके अलावा जॉर्डन के पश्चिम में जल, थल और हवाई क्षेत्र पर इजरायल का कब्जा रहेगा. इस योजना को पेश करने से पहले इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दो राष्ट्र सिद्धांत को भी खारिज किया है.
इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा, “इजराइल के लोग और उनके चुने हुए प्रतिनिधि आज इतने एकजुट हैं जितना पहले कभी नहीं थे. नेसेट ने इजराइल पर एकतरफा फिलिस्तीनी राज्य थोपने के किसी भी प्रयास का विरोध करने के लिए भारी मतदान किया. इस तरह का प्रयास केवल इज़राइल को खतरे में डालेगा और उस वास्तविक शांति को रोक देगा जो हम सभी चाहते हैं. शांति तभी प्राप्त की जा सकती है जब हम हमास पर पूर्ण विजय प्राप्त कर लें.” दरअसल, इजरायल हमास के साथ चल रहे जंग खत्म होने के बाद गाजा को अपने नियंत्रण में ही रखना चाहता है.
इके विपरीत अमेरिका चाहता है कि वेस्ट बैंक का प्रशासन देखने वाले फिलिस्तीनी अथॉरिटी को ही गाजा के प्रशासन की ज़िम्मेदारी दी जाए. लेकिन प्रधानमंत्री नेतान्याहू की ओर से अपने मंत्रियों को दी इस योजना में फिलिस्तीनी अथॉरिटी का कोई ज़िक्र नहीं है. वहीं फिलिस्तीनी अथॉरिटी के प्रेसिडेंट महमूद अब्बास के प्रवक्ता ने इजरायल की इस योजना को खारिज किया है. हमास ने भी इजरायल की इस योजना खारिज करते हुए गाजा पर कब्जे की योजना बताया है. इनके सबके बीच सबसे ज्यादा तबाह वो आम फिलिस्तीनी लोग हैं, जिनका किसी से कोई सरोकार नहीं है.
इजरायल में नेतान्याहू सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन ( Protest against Netanyahu government in Israel)
गाजा में हमास से जंग लड़ रही इजरायल की सरकार के खिलाफ विरोध बढ़ता ही जा रहा है. एक तरफ युद्ध खत्म करने को लेकर इजरायली की सरकार पर भारी अंतरराष्ट्रीय दबाब है, वहीं दूसरी ओर देश के अंदर विरोध प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहा. लंबी खींचती जंग और बढ़ती लागत को लेकर लोगों में भारी आक्रोश देखा जा रहा है. शनिवार को एक बार फिर हजारों लोग तेल अवीव की सड़कों पर उतर आए. बंधकों की रिहाई के लिए हमास से बातचीत शुरू करने की अपील की है. बेकाबू प्रदर्शनकारियों को काबू में करने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा.
पोस्टर-बैनर के साथ सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारियों ने मौजूदा सरकार से इस्तीफे की भी मांग की है. एक प्रदर्शनकारी एलन निसिम ने कहा, ”हमारा मानना है कि अब समय आ गया है कि देश में एक नया नेतृत्व आए. हमें एक बार फिर से एकजुट करे. नागरिकों की देखभाल करे. उन सभी चीजों का ध्यान रखे, जिनकी इस वक्त जरूरत है. इस अतिवादी सरकार से हम तंग आ चुके हैं. हम इसे तुरंत बदलना चाहते हैं. इस सरकार को चाहिए कि वो हमास से बातचीत करके हमारे लोगों की रिहाई सुनिश्चित करे. लेकिन नेतन्याहू सरकार देश की समस्याओं से निपटने में पूरी तरह विफल रही है.”